भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लैपटॉप-2 / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
Kavita Kosh से
सबके मन को जो भाता है ।
लैपटॉप वो कहलाता है ।।
सभी जगह इसको ले जाओ ।
बड़े मज़े से नेट चलाओ ।।
मनचाहे गानों को भर लो ।
दूर देश में बातें कर लो ।।
सारा कुछ तो लगा यहीं है ।
माउस का भी काम नही है ।।
इसमें ज्ञान समाया सारा ।
लैपटॉप लगता है प्यारा ।।