वहशी नहीं हूँ मैं न कोई बदहवास हूँ
महसूस कर मुझे के मैं सहरा की प्यास हूँ
मेरे ग़मों की धूप ने झुलसा दिया मुझे
मुझको हवा न दीजिये सूखी कपास हूँ
जिस्मों के इस हुजूम में मेरा वजूद क्या
पहचानता है कौन मुझे बेलिबास हूँ
मैं हूँ तेरे ख़याल में अशआर की तरह
मुझको ख़ुद ही में ढूँढ़ मैं तेरे ही पास हूँ
मेरे बग़ैर तू भी कहाँ जी सका ‘अज़ीज़’
तेरे बग़ैर मैं भी यक़ीनन उदास हूँ