भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वह जो अजन्मा है / शरद कोकास
Kavita Kosh से
कौन जानता है
कब निकलें दूध के दाँत
कब चले घुटने-घुटने
कब तुतलाये ज़बान
मांगे अपने हिस्से का दूध
बढ़ते बढ़ते क़द
पहुँच जाए पिता के कन्धों तक
कौन जानता है, कब भीगने लगे मसें
उभरने लगें बाँहों की मछलियाँ
बदलने लगे चाल, भारी होने लगे आवाज़
वह टाले आपके सवाल
नज़र अन्दाज़ करे समझाईश भरी बातें
लगाए ठहाका
कौन जानता है
रात रात भर वह रहे ग़ायब
हाथों में किताबों की जगह
आ जाए बन्दूक
सवाल उस बच्चे के बारे में है
जिसने जन्म लिया है अभी-अभी।
-1994