भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
विद्यादायिनि ‘सरस्वती’ जय / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
(राग तोड़ी-ताल त्रिताल)
विद्यादायिनि ‘सरस्वती’ जय, श्री-विभूतिदा ‘लक्ष्मी’ जय।
‘ललिताबा’ कल्याणकरी जय, ‘दुर्गा’ दुर्गतिनाशिनि जय॥
मुक्तिञ्दायिनी ‘गायत्री’ जय, ‘काली’ कलुषनिकन्दिनि जय।
जय प्रसिद्ध षड्रूपा माता, दुःख-शोक-भयहारिणि जय॥