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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>आभैं आभै री अणंत कोरां तांईं पूग
टाबरां खातर चुग्गो भेळो कर
सिंझ्या पाछो बावड़ सकूं घूरसाळै में