भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
<poem>
इस धरती के राम जंगली,
इसके नमन-प्रणाम जंगली।जंगली ।
कुडई, कुंद, झुईं सम्मोहक,
वन-फूलों के नाम जंगली।जंगली ।
वन्याओं-सी वन छायाएंछायाएँ,हलवाहे -सा घाम जंगली
भरमाते चांदी चाँदी के खरहे,स्वर्ण -मृगों के चाम जंगली।जंगली ।
यहाँ प्रभात ‘पुष्पधंवा’ -सा,मीनाक्षी -सी शाम जंगली।जंगली ।
शकुंतला -सी प्रीति घोटुली,दुष्यंती आयाम जंगली।जंगली ।
दिशाहीन, अंधी आस्था के,
जीवन का संग्राम जंगली।जंगली ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,138
edits