भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
आडी-टेढ़ी बातां कैवूं म्हैं
आ तो म्हारी आदत है
आंसू पूंछती लुकै सीनै में
हाथां रै बीं सागी लटकै सागै
इणी लटकै लारै गैलो म्हैं