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|रचनाकार=कुमार अनिल
|संग्रह=और कब तक चुप रहें / कुमार अनिल
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<poem>इस तरह तारीकियों के हल निकाले जायेंगे
सिर्फ अंधों के घरों में दीप बाले जायेंगे
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