भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: <poem>तेरा मेरा इक रिश्ता है मैं प्यासा हूँ, तू दरिया है दुनिया मुझसे …
<poem>तेरा मेरा इक रिश्ता है
मैं प्यासा हूँ, तू दरिया है

दुनिया मुझसे लाख खफा हो
तू ही अब मेरी दुनिया है

मैं हूँ जेठ की तपती धरती
तू रुत की पहली बरखा है

इस दीये की हिम्मत देखो
सूरज के आगे जलता है

याद तुम्हारी होगी शायद
घर आँगन महका महका है/>
162
edits