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<poem>
1.
जो तू ग़मख़्वार <ref>हमदर्द, सहानुभूति जताने वाला, दुख-दर्द बाँटने वाला</ref> हो जाये तो ग़म क्या,
ज़माना क्या, ज़माने के सितम क्या ।
2.
ख़लिश<ref>चुभन, टीस, चिन्ता, फ़िक्र, उलझन</ref> ने दिल को मेरे कुछ मज़ा दिया ऐसा,कि जमा करता हूँ मैं ख़ार<ref>काँटा</ref> आशियाँ के लिए ।
</poem>
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