गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मेघकृपा / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
292 bytes removed
,
06:43, 10 जनवरी 2011
{{KKCatKavita}}
<poem>
,
सो सिर दीजै डारि।
जिस पिंजर महिं विरह नहिं, सो पिंजर लै जारि॥
नानक चिंता मति करहु, चिंता तिसही हेइ।
जल महि जंत उपाइ अनु, तिन भी रोजी देइ॥
yah testing hai shigra hi rachana bhi ankit ki jayegi॥
</poem>
Dr. ashok shukla
Mover, Reupload, Uploader
7,916
edits