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Kavita Kosh से
तुम मुझे मेरे प्रिय
मरने नहीं दो इस दुनिया में
जो इतना ठंड़ी ठंडी है, काली है, मेरे दर्द की तरह ।
'''रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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