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{{KKRachna
|रचनाकार=बिरजीस राशिद आरफ़ी
|संग्रह=जैसा भी है / बिरजीस राशिद आरफ़ी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
जो पा चुका है उससे भी बेहतर तलाश कर
दुनिया बहुत बड़ी है मुकर्रर<ref>फिर से</ref> तलाश कर
दुश्मन के दिल में प्यार का अन्सर<ref>प्रेम की नींव</ref> तलाश कर
भाई की आस्तीन में ख़ंजर तलाश कर
मंज़िल वहाँ नहीं है जहाँ ढूँढता है तू
मंज़िल को दायरे से निकल कर तलाश कर
कासा<ref>भिक्षापात्र</ref> किसी ग़रीब का ख़ाली नहीं रहा
हर दर पे जाके अपना मुक़द्दर तलाश कर
ऐ साहिबे-ख़िरद<ref>होशमंद</ref> मेरी लिल्लाह कर मदद
ये मेरा शहर है तो मेरा घर तलाश कर
बहरे-अदब<ref>साहित्य(शायरी)के समुद्र</ref> में ग़ोताज़नी<ref>गोताखोरी</ref> किस लिए मियाँ
गहराई नापने से तो गौहर<ref>हीरे-मोती</ref> तलाश कर
सरज़द हुई हैं कितनी ख़ताएँ गुनाह-फ़रेब
सोने से पहले क़ल्ब के अन्दर तलाश कर
</poem>
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|रचनाकार=बिरजीस राशिद आरफ़ी
|संग्रह=जैसा भी है / बिरजीस राशिद आरफ़ी
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जो पा चुका है उससे भी बेहतर तलाश कर
दुनिया बहुत बड़ी है मुकर्रर<ref>फिर से</ref> तलाश कर
दुश्मन के दिल में प्यार का अन्सर<ref>प्रेम की नींव</ref> तलाश कर
भाई की आस्तीन में ख़ंजर तलाश कर
मंज़िल वहाँ नहीं है जहाँ ढूँढता है तू
मंज़िल को दायरे से निकल कर तलाश कर
कासा<ref>भिक्षापात्र</ref> किसी ग़रीब का ख़ाली नहीं रहा
हर दर पे जाके अपना मुक़द्दर तलाश कर
ऐ साहिबे-ख़िरद<ref>होशमंद</ref> मेरी लिल्लाह कर मदद
ये मेरा शहर है तो मेरा घर तलाश कर
बहरे-अदब<ref>साहित्य(शायरी)के समुद्र</ref> में ग़ोताज़नी<ref>गोताखोरी</ref> किस लिए मियाँ
गहराई नापने से तो गौहर<ref>हीरे-मोती</ref> तलाश कर
सरज़द हुई हैं कितनी ख़ताएँ गुनाह-फ़रेब
सोने से पहले क़ल्ब के अन्दर तलाश कर
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