भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|रचनाकार=रमा द्विवेदी
}}
 
'प्रेम' दिल की पुकार है, <br>
ह्रिदय का विस्तार है,<br>
स्वप्निल संसार है,<br>
रस की फ़ुहार है,<br>
तन-मन झूम जाता है,<br>
गीत बन जाता है।<br><br>
 
'प्रेम' जिजीविषा का विकास है,<br>
जीवन का प्रकाश है,<br>
अधरों का उल्लास है,<br>
रागात्मकता का विलास है,<br>
मन-मयूर नाच उठता है,<br>
गीत बन निखरता है।<br><br>
 
'प्रेम'मन का विश्वास है,<br>
जीवन की मिठास है,<br>
तीखी तकरार है,<br>
मीठी मनुहार है,<br>
रोम-रोम लहलहाता है,<br>
गीत बन जाता है।<br><br>
 
शूल कहीं चुभता है,<br>
मर्म चीख उठता है,<br>
मीत याद आता है,<br>
दर्द और भी बढ जाता है,<br>
अन्तस गुनगुनाता है,<br>
गीत बुन जाता है।<br><br>
 
बसन्त रितु का प्रसार,<br>
नवयौवना का विरह श्रुंगार,<br>
प्रिय का इन्तज़ार,<br>
विरहणी की अश्रुधार,<br>
दर्द छलक जाता है,<br>
गीत बन-संवर जाता है।<br><br>
Anonymous user