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|रचनाकार=शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान|संग्रह=तपती रेती प्यासे शंख / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
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देहरी से
जाने कौन देश की
हवा चली। चली ।
पियराया
घर का तुलसी बिरवा
झुलसी
बगिया की हर एक कलीं कली
पल भर को
चैन नहीं कमरे में
बन्द हुये हुए
हम अपने पिंजरें में,
मौसम ने
फेरा जादू टोना,
आशंकित है
घर का हर कोना,
ईंट -ईंट दिखती है छली छली।-छली ।
</poem>