Changes

समाचार है
 
अच्छा मौसम
 
आने वाला है
 
भीमसेन सा
 
पंचम सुर में
 
गाने वाला है
 
इन्द्रधनुष की
 
प्रत्यंचा फिर
 गगन कस रहा
हरे भरे
 जंगल में आकर हिरन बस रहा
कोई
 फूलों में आकर
बतियाने वाला है
 
प्यासे खेत
 
पठार
 
लोकरंगों में डूबे
 
रेत हुई
 
नदियों के
 
रूमानी मंसूबे
 
कोई देकर
 
अपना हाथ
 
छुड़ानेवाला है
 
साँस -साँस में
 
गंध गुलाबी
 
हवा बह रही
 
तोड़ रहीं
 
छत इच्छाएं
 दीवार ढह रही
भटकन में
 
भी कोई
 
राह बतानेवाला है
 मन केरल की
मृगनयनी
 
आँखों में खोया
 
थका हुआ
 
चेहरा सागर
 लहरों ने धोया
कोई काट
 
चिकोटी हमें
 
सताने वाला है