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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जयकृष्ण राय तुषार }} {{KKCatNavgeet}} <poem> नींद नहीं टूटे तो …
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{{KKRachna
|रचनाकार=जयकृष्ण राय तुषार
}}
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<poem>
नींद नहीं
टूटे तो
देह गुदगुदाना |
सूरज
कल भोर में
जगाना |
फूलों में
रंग भरे
खुशबू हो देह धरे ,
मौसम के
होठों से
रोज सगुन गीत झरे ,
फिर आना
झील -ताल
बांसुरी बजाना |
हल्दी की
गाँठ बंधे
रंग हों जवानी के ,
इन सूखे
खेतों में
मेघ घिरें पानी के ,
धरती की
कोख हरी
दूब को उगाना |
लुका -छिपी
खेलेंगे
जीतेंगे -हारेंगे
मुंदरी के
शीशे में
हम तुम्हें निहारेंगे ,
मन की
दीवारों पर
अल्पना सजाना |
</poem>
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|रचनाकार=जयकृष्ण राय तुषार
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नींद नहीं
टूटे तो
देह गुदगुदाना |
सूरज
कल भोर में
जगाना |
फूलों में
रंग भरे
खुशबू हो देह धरे ,
मौसम के
होठों से
रोज सगुन गीत झरे ,
फिर आना
झील -ताल
बांसुरी बजाना |
हल्दी की
गाँठ बंधे
रंग हों जवानी के ,
इन सूखे
खेतों में
मेघ घिरें पानी के ,
धरती की
कोख हरी
दूब को उगाना |
लुका -छिपी
खेलेंगे
जीतेंगे -हारेंगे
मुंदरी के
शीशे में
हम तुम्हें निहारेंगे ,
मन की
दीवारों पर
अल्पना सजाना |
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