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रामा हो जगजीवन मोरा / रैदास

33 bytes added, 14:32, 13 अप्रैल 2011
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|रचनाकार=रैदास
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रामा हो जगजीवन मोरा।
तूँ न बिसारि राम मैं जन तोरा॥टेक॥