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|रचनाकार=हरे प्रकाश उपाध्याय
|संग्रह=खिलाड़ी दोस्त और अन्य कविताएँ / हरे प्रकाश उपाध्याय}}
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पिता जब बहुत बड़े हो गये
और बूढ़े