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भीगना / नवनीत पाण्डे

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<poem>बरसात हुईपूरी तरह भीग गया मैंपर तुम..!बिल्कुल भी न भीगेबहुत चाहा मैंने-तुम भीगो
चुल्लू में भर पानी भी फ़ेंका- कई बार
पर तुम नहीं भीगे
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