भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवनीत पाण्डे |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem>पीड़ाओं से क्र…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नवनीत पाण्डे
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>पीड़ाओं से क्रीड़ाओं को ही
जिन्होंने बना लिया है शगल
उन्हें मत कोसो
वे नहीं समझेंगे
उन्हें अगर भनक भी लग गई
हमारी पीड़ा की
वे होंगे हमारे बीच
दुश्मन देश की खुफ़िया एजेंसी के
एजेण्टों की मानिंद
और ले जाएंगे चुराकर हमारी पीड़ाएं
भुनाएंगे उन्हें राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में
हमें पता भी नहीं चलता
हमारी पीड़ाएं बिक गई है
न जाने कहां-कहां..
किस-किस की
कितनी रोटियां
सिक गई है</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits