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प्रीत-22 / विनोद स्वामी

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|रचनाकार= विनोद स्वामी
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{{KKCatKavita‎}}<poem>जांटी रै पेडै चढती
तोरूं री बेल,
आपणै प्यार नै
समझ बैठी खेल।
देखा देखी आपणै
उळझ बैठी
जंटियै में।
</poem>
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