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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= विनोद स्वामी |संग्रह= }} [[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= विनोद स्वामी
|संग्रह=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>तूं म्हनै
अर म्हैं तनै
आखै दिन पकड़ायो
सुबड़ रो नाको।
गोडै री दाब लगा’र
दियो बीं रो आंटो,
मारी गांठ।
बंधता गया भारिया
आपणै हेत रा।
अब जद-जद
खेतां में पड़्या दिखै अै भारा
हरेक रै
अेक कानी म्हैं
अर दूजै कानी तूं खड़ी दीखै।
</poem>
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|रचनाकार= विनोद स्वामी
|संग्रह=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>तूं म्हनै
अर म्हैं तनै
आखै दिन पकड़ायो
सुबड़ रो नाको।
गोडै री दाब लगा’र
दियो बीं रो आंटो,
मारी गांठ।
बंधता गया भारिया
आपणै हेत रा।
अब जद-जद
खेतां में पड़्या दिखै अै भारा
हरेक रै
अेक कानी म्हैं
अर दूजै कानी तूं खड़ी दीखै।
</poem>