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{{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=रमा द्विवेदी }}
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किसी की भावनाओं से,कभी खिलवाड़ मत करना,
अगर न कर सको तुम प्यार का इकरार मत करना,
भस्म हो जाता लोहा भी मृतक की आह भरने से,
किसी की आह लग जाए,कभी वो बात मत करना।
किसी की दोस्ती के बीच काँटे मत बिछाना तुम,
अगर कुछ कर सको करना,सरल राहें बनाना तुम,
बड़ा तकदीर वाला वो जिसे इक दोस्त मिल जाए,
किसी की दोस्ती को देख दिल को मत जलाना तुम।
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किसी की भावनाओं से,कभी खिलवाड़ मत करना,
अगर न कर सको तुम प्यार का इकरार मत करना,
भस्म हो जाता लोहा भी मृतक की आह भरने से,
किसी की आह लग जाए,कभी वो बात मत करना।
किसी की दोस्ती के बीच काँटे मत बिछाना तुम,
अगर कुछ कर सको करना,सरल राहें बनाना तुम,
बड़ा तकदीर वाला वो जिसे इक दोस्त मिल जाए,
किसी की दोस्ती को देख दिल को मत जलाना तुम।
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