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"'''मनहरन घनाक्षरी''' "''(परिपूर्ण ऋतुराज का प्रकाश रूप से वर्णन)"''
चहँकि चकोर उठे, सोर करि भौंर उठे, बोलि ठौर-ठौर उठे कोकिल सुहावने ।
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