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Kavita Kosh से
क्या ज़िन्दगी को दीजिये क्या-क्या न दीजिये!
सामान मौत का ही इसे ला न दीजिएदीजिये
बातें बना-बना के फिराते हैं मुँह सभी
ढाढ़स है, मन का भेद है, आँचल की है हवा
देने की लाख चीजें हैं, धोखा न दीजिए दीजिये
हो जाय बेसुरी मेरी साँसों की बाँसुरी