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Kavita Kosh से
हमारी ज़िन्दगी ग़म के सिवा कुछ और नहीं
किसी के जुल्मोज़ुल्मो-सितम के सिवा कुछ और नहीं
समझ लें प्यार भी हम उस नज़र की शोख़ी को