भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=द्विज }} {{KKPageNavigation |पीछे=कबहुँक राधा के ललित / शृंगार…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=द्विज
}}
{{KKPageNavigation
|पीछे=कबहुँक राधा के ललित / शृंगार-लतिका / द्विज
|आगे=कबहुँक फागुन माँहि, दोऊ फगुवा मिलि खेलहिं / शृंगार-लतिका / द्विज
|सारणी=शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 4
}}
<poem>
'''रोला'''
''(संक्षेप रूप से नायिका-भेद-वर्णन)''

बन, गिरि-उपबन जाइ, कबहुँ बहु-भाँतिन खेलहिं ।
कबहुँक हरि-सँग पाइ, मोहि आनँद-हिय-मेलहिं ॥
सखिन सुनाइ-सुनाइ कहैं, कहुँ यह सुख राधा ।
कबहुँक आपुस माँहि, सखी! कहि मैंटहिं बाधा ॥४०॥
</poem>
916
edits