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Kavita Kosh से
आये जब ताब देखने की नहीं
दूर नज़रों से जा रहा है कोई
और दिल के करीब क़रीब होता है
सामने उनके मुँह सिये हैं गुलाब
प्यार कितना ग़रीब होता है
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