भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=सौ गुलाब खिले / गुलाब खंड…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=सौ गुलाब खिले / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[category: ग़ज़ल]]
<poem>

हरदम किसीकी याद में जलते रहे हैं हम
करवट ही ज़िन्दगी में बदलते रहे हैं हम

जाना किधर है, आये कहाँ से, पता नहीं
कोई चलाये जा रहा, चलते रहे हैं हम

ऐसे तो हमको आपने देखा न था कभी
हर बार इस गली से निकलते रहे हैं हम

हरदम किसीके पाँव की आहट सुना किये
गिर-गिरके ज़िन्दगी में सँभलते रहे हैं हम

देखे जो कोई रंग हैं सौ-सौ गुलाब में
मौसम के साथ-साथ बदलते रहे हैं हम
<poem>
2,913
edits