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रस के भरे कचनार-सी बाँहें, गोरे गुलाब-से गाल, पिया!
मान भी कैसे करूँ अब तुमसे, आये बिता कर बिताकर साल, पिया!
इतने दिनों पर याद तो आयी! हो गयी मैं तो निहाल, पिया!
साँवरे-गोरे का भेद कहाँ अब, तन-मन लाल ही लाल, पिया!
आँखों में अंजन , माथे पे बिंदियाबिँदिया, हाथ अबीर का थाल, पिया!
बचके गुलाब अब जा न सकोगे, लाख चलो हमसे चाल, पिया!
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