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{{KKRachna
|रचनाकार=वत्सला पाण्डे
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>तन दिया
फिर कर्म भी
सौंप दिया
ऐतबार अपना
दे दिया
वह सब भी
जो था कभी
अपना
पर
कुछ तो रहा
ऐसा जो
नहीं दे सकी
तुम्हें
जहाज के पंछी सा
लौटता रहा
जहां से आया था
मन
</poem>
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|रचनाकार=वत्सला पाण्डे
|संग्रह=
}}
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फिर कर्म भी
सौंप दिया
ऐतबार अपना
दे दिया
वह सब भी
जो था कभी
अपना
पर
कुछ तो रहा
ऐसा जो
नहीं दे सकी
तुम्हें
जहाज के पंछी सा
लौटता रहा
जहां से आया था
मन
</poem>