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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वत्सला पाण्डे |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}<poem>कुछ घोंघे कुछ …
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{{KKRachna
|रचनाकार=वत्सला पाण्डे
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>कुछ घोंघे
कुछ शंख छोटे छोटे
नन्हीं सीपियां भी
ढूंढ ली थी
रह गए थे खोल
इनमें था
कभी जीवन
आज मृत्यु का
आलाप है
फिर भी हैं
रंग धुले धुले
जीवन भरे हुए
उसमें होने की ध्वनि का
अर्थ ही
बना जीवन राग है
</poem>
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|रचनाकार=वत्सला पाण्डे
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>कुछ घोंघे
कुछ शंख छोटे छोटे
नन्हीं सीपियां भी
ढूंढ ली थी
रह गए थे खोल
इनमें था
कभी जीवन
आज मृत्यु का
आलाप है
फिर भी हैं
रंग धुले धुले
जीवन भरे हुए
उसमें होने की ध्वनि का
अर्थ ही
बना जीवन राग है
</poem>