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Kavita Kosh से
बहुत-से ऐसे भी जीवन में आ चुके हैं मोड़
जब उनके नाम को होठों होँठों पे लाके छोड़ दिया
लहर हैं वह जिसे कोई भी किनारा न मिला
गुलाब, ऐसे ही खिलते हैं हम किसीने ज्यों
दिया जला के जलाके मुक़ाबिल हवा के छोड़ दिया
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