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|रचनाकार=वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
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दृढ़ रख संकल्पों को अपने
सच में परिणत होंगे सपने
कुंदन सा दमकेगा जीवन
संघर्षों में देना तपने
दृढ़ रख संकल्पों ................</poem>
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