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हम हैं ख़ुशबू / रमेश तैलंग

3 bytes added, 08:49, 5 सितम्बर 2011
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जब कभी हम अँेरों अँधेरों के घर जाएँगे ।
उनका आँचल उजालों से भर आएँगे ।
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