भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}} * *{{KKRachna करती है पानी-पानी |रचनाकार=रमा द्विवेदी
}}
 
 
मर्यादाएं न टूटें,इतना भी त्रास न दो।<br>
कोई नारी बने अम्बिका इतना भी उपहास न दो॥<br><br>
Anonymous user