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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार='अना' क़ासमी|संग्रह=}}{{KKCatGhazal}}<poem>
जाने क्या दुश्मनी है शाम के साथ
दिल भी टूटा पड़ा है जाम के साथ
बेतकल्लुफ़ बहस हों मकतब में
इल्म घटता है एहतराम के साथ</poem>