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सत्य अपना अपना / रमा द्विवेदी
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17:01, 16 अगस्त 2007
सत्य<br>
टुकडों-टुकडों
में
बžंट
बंट
गया है।<br>
उपर से नीचे तक<br>
बडे से छोटे तक <br>
समाहित कर लो
अपने अन्दर <br>
विष
अमिरत
अमृत
के
घूंट<br>
मंथन करो स्वयं
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Ramadwivedi