भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सावण आयो सायनी खेता नाचै मोर ।
म्हारै नैणा रात दिन गळ गळ जावै मोर ॥
 *चिथ्योडी- दबी कुचली * रळ – मिलना *धुक सक्यो -मनाया जा सका*मैफलाँ – महफिल,पार्टी *आपजी – पिताजी *सीर- हिस्सा *आळपताळ जिसका कोई ओर छोर नही हो (अनंत) *पाती – पत्र*मरवण – राजस्थान की एतिहासिक नायिका ( प्रेमिका)*काळी कोसा – बहुत ज्यदा दूर *पूग – पहूंच *सायनी – समान उम्र ( नायिका)</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,492
edits