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कितरा ही दुहा लिखूँ अकथ रहीज्या भाव ।
परदेसी रो दरद तो है गूंगै रो भाव ॥
कठिन राजस्थानी शब्दो के हिन्दी अर्थ :- जठै - जहां पर पूठ = पीछे से रूंखडा = पेड़खळा = खलिहानधोरा = टीलाबां खातर = उसके लियेतज =त्याग बिरथा = व्यर्थजूण = योनी चौपड़= चौसर ( एक प्रकार का खेल )ठीडै = जगह ठुकरेश = राजपूती हेकडीठोड अर ठांयचै = जगह ठिकानाहिरण्यां और कीरत्यां = एक प्रकार के तारे जो रात्री में समय देखने के काम आते हैपाण्डियो =पंडित जजमान = यजमान * बेलिया -साथी * बध बध - आगे आकर * ओळमा - उलाहना*बाँथ- आलिंगन *पैली - एक *सायना -हम उमर *सेज़ाँ - शयन करने की जगह *गौरडी - गणगौर जैसी नायिका * गेल -पिछला *परणेत - पत्नी*बेली- साथी *लोगडा - आम आदमी *घूमन - फिरना*बेलिया- साथिया *पीसां - पैसे *सगळा -सभी*कग्यो - कह गया *मांड्या - लिखना *कंवळै - दीवार पर*मैडी - ऊंचा स्थान *दोरा सोरा - जैसे तैसे किसी कार्य को करना*गैला - पागल *लाजां - लज्जा *चीरडा - चिथड़े * रात्यूं - रात भर*फाग - एक प्रकार की ओढ़नी जो फाल्गुन में राजस्थानी औरते पहनती है*सून्पी- सौंप दिया * र्रैँतां थका - होने के बावजूद*सूगली - गंदी *डूंगरी - पहाडी *कैडो - कैसा *जिण रो - जिस का पण - परंतु कोनी- नही सूँ- से साढ- आषाढ (महिना) मेह- बारिश पून- हवा सोळा- सोलह निपजैली- पैदा होगी टीबडी - छोटा खेत जिसमे एक छोटा टीला भी हो मांडूला - शादी तय करूंगा मोकळा - प्रयाप्त करजै - कर्ज रूखाळी - रखवाली चान्दो - चन्द्र्मा ( नायक को दी गयी उपमा ) पिणघट - पनघट ठांव - अड्डा पिरमा- प्रेमा नाम का अपभ्रंश रूप पीव - प्रेमी घिरसत - गृहस्थी घाटै - गरीबी बिक्या- बिकना (विक्रय) हुसी- होगा जद- जब अकथ- जो कहा न जा सके सगळा - सब नीरती - पशुधन को भोजन देना डांगर ढोर - पशुधन बावडै - वापिस आना मिस- बहाना करना मांडदी - लिख दी अचपळी - नटखट घणी - ज्यादा कुचमाद - बदमाशी रवै - रहना जाग्या - जागना आवै - आना आवडै - पसन्द आना कींकर - कैसे छान - फूस की छत घरघूल्या - घरौन्दे पाछी - वापस लेग्या- लेकर जाना ओपरा - पराया लूकै - छिपना जांटी - खेजडी ( राजस्थानी वृक्ष ) आण - ओट मे , सोगन्ध </poem>
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