भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश त्रिपाठी 'शम्स' }} <poem> दिल लुभाती रही रात भर …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दिनेश त्रिपाठी 'शम्स'
}}
<poem>
दिल लुभाती रही रात भर चांदनी ,
मुस्कुराती रही रात भर चांदनी .
जाने किस मीत के प्रीत का गीत ही ,
गुनगुनाती रही रात भर चांदनी .
द्वार पर देख तारों की बारात को ,
बस लजाती रही रात भर चांदनी .
छोड़कर आ गयी नभ मगर भूमि पर ,
छटपटाती रही रात भर चांदनी .
ताल पर जाल किरणों का ले के भला ,
क्या फंसाती रही रात भर चांदनी ?
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=दिनेश त्रिपाठी 'शम्स'
}}
<poem>
दिल लुभाती रही रात भर चांदनी ,
मुस्कुराती रही रात भर चांदनी .
जाने किस मीत के प्रीत का गीत ही ,
गुनगुनाती रही रात भर चांदनी .
द्वार पर देख तारों की बारात को ,
बस लजाती रही रात भर चांदनी .
छोड़कर आ गयी नभ मगर भूमि पर ,
छटपटाती रही रात भर चांदनी .
ताल पर जाल किरणों का ले के भला ,
क्या फंसाती रही रात भर चांदनी ?
</poem>