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{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
}}
{{KKCatMoolRajasthani}}
{{KKCatKavita}}
<poem>धोरां-धोरां पाणी रो धोखो है
हर सांस आस-राणी रो धोखो है
मन म्हारा गूंथ मत नित नुंवा धागा
औ जग आणी-जाणी रो धोखो है
समंदर री लहरां गिणतो सोचूं म्हैं
पाणी नै ई पाणी रो धोखो है
अमर पळ आसी पाछो हाथ थारै
राजा नै तो राणी रो धोखो है
सूरज आंधो होयग्यो सड़कां माथै
गांव गळी अर ढाणी रो धोखो है</poem>
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|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
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<poem>धोरां-धोरां पाणी रो धोखो है
हर सांस आस-राणी रो धोखो है
मन म्हारा गूंथ मत नित नुंवा धागा
औ जग आणी-जाणी रो धोखो है
समंदर री लहरां गिणतो सोचूं म्हैं
पाणी नै ई पाणी रो धोखो है
अमर पळ आसी पाछो हाथ थारै
राजा नै तो राणी रो धोखो है
सूरज आंधो होयग्यो सड़कां माथै
गांव गळी अर ढाणी रो धोखो है</poem>