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|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
}}
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<poem>
'''(भवानीसिंह राठौड़ खातर)'''
म्हानै तो औ ई चाव कलाळी
म्हैं लेसां, तू दै दाव कलाळी
आ मौज महफिल तो मन री हुवै
अठै आ कुण पूछै भाव कलाळी
अळधै सूं देख्यां कांई सरै
काळजियै पूग्यां साव कलाळी
एक प्यालो दे क्यूं रोकै हाथ
मांय लागी लाव-लाव कलाळी
तूं मत रूसजै, तूं सांस म्हारी
नित हरखी-हरखी आव कलाळी</poem>
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|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
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<poem>
'''(भवानीसिंह राठौड़ खातर)'''
म्हानै तो औ ई चाव कलाळी
म्हैं लेसां, तू दै दाव कलाळी
आ मौज महफिल तो मन री हुवै
अठै आ कुण पूछै भाव कलाळी
अळधै सूं देख्यां कांई सरै
काळजियै पूग्यां साव कलाळी
एक प्यालो दे क्यूं रोकै हाथ
मांय लागी लाव-लाव कलाळी
तूं मत रूसजै, तूं सांस म्हारी
नित हरखी-हरखी आव कलाळी</poem>