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|रचनाकार=सांवर दइया
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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}<poem>देख भायला
सांधण दै, ना छेड़
भींतां री तेड़
०००

सुण रे लाडी !
अठै खातर कोनी
क्यूं सोधै हेत
०००

याद नीं आवै
दिनूगै-सिंझ्या गोख्यो
बगत पड़्‌यां
०००

अंवेरै पीड़
इतिहासू आखर
माण्डै कलम
०००

जाळ लेय’र
उड़गी कबूतरी
रोवै पारधी
०००
</poem>
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