भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
रगें उसकी, रक्त मेरा, कली जिससे लाल है;
कली खिलती, सूखती मेरे हॄदय हृदय की डाल है;
कौन जाने और भी परिणति बुरी हो या भली?