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ताँका-1-16 / भावना कुँअर

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|रचनाकार= डॉ0 भावना कुँअर
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होकर फिर दूर
भागता रहा सुख
 
2.
भूली थी आँखे
यूँ मैया यशोदा ने
पालने में ललना
 
3.
भरे कुलाँचे
बहुत ही सलौना
मासूम मृगछौना
 
4.
लगी जो प्रीत
भूल गई जग की
रिवाज और रीत
 
5.
हो गई भोर
छिपकर बैठा है
मेरे मन का मोर
 
6.
सह न पाया
लगते तन पे ज्यूँ
आग लिपटे कोड़े
 
7.
अकेलापन
अब तक है याद
सौगात सूनापन
 
8.
फेंकने लगा
सूरज महाराज
अब आ जाओ बाज
 
9.
मुश्किल बड़ा
जो निभाए साथ,ये
काँटों भरी डगर
 
10.
फूल औ’ पत्ते
डर के जब दौड़ें
कहलाएँ भगौड़े
 
11.
हमेशा दिया
उफ़ बिना किए ही
ये जीवन अनोखा
 
12.
भागती रही
उम्मीद के सहारे
अपनी आँखे मींचे
 
13.
चिड़िया बोली
भरा मिठास से यूँ
ज्यूँ मिसरी हो घोली
 
14.
अभागा मन
कितनी दूर
इस जहाँ से भागे
टूटे,नेह के धागे 
15.
अलसाया -सा
खोल न पाए पंछी
फिर अपनी पाँखें
 
16.
जीवन भर
खोजती थी हमेशा
उजाले की किरण
-0-
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