Changes

कनाट प्लेस : एक शाम / रमेश रंजक

7 bytes removed, 07:19, 24 दिसम्बर 2011
<poem>
ज्योतिषी सितारों ने फैला दीं
श्वेत चादरें
फूटी क़िस्मत वाले क्या करें ?
(जिए या मरें ?)
देह धरे कदली की रात,
सड़कों पर घूमती
दूध्या उजाले की प्यास
पंखुरियाँ चूमती
मछली-सी झूम-झूलतीं
कुहरे में झालरें
महँगी अस्मत वाले कुआ करें ?
(जिए या मरें ?)
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,245
edits