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आदर्श-प्रेम / जगन्नाथप्रसाद 'मिलिंद'
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10:10, 26 दिसम्बर 2011
::मेरी जीर्ण कुटी तक आओ
::अधरों पर मुरली साधे;
::मैं कह
दू
दूँ
“मेरे मनमोहन!”
::तुम कह दो “मेरी राधे!”
</poem>
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