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झीना आलोक / रमेश रंजक

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भोर की किरन
फुनगी पर शीशफूल-सी
खिसक गई पीन वक्ष से
विरल यामिनी दुकूल-सी ।
बिन बानी बोलने लगे
मंदिर के पाँव पर गिरी
पंकिल छाया बबूल-सी ।
</poem>
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